What is the main purpose of Lok Adalat?
Lok Adalat -
यह गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है। यह ADR (वैकल्पिक विवाद समाधान) प्रणाली के घटकों में से एक है। उच्च न्यायालयों के बोझ को कम करने के उद्देश्य से इस अदालत को गठित किया गया है।
यह मंच है, जहां ऐसे मामले (या विवाद) जो एक अदालत में लंबित हैं या जो पहले मुकदमेबाजी के चरण में हैं (अभी तक अदालत के सामने नहीं लाए गए) समझौता या सौहार्दपूर्ण तरीके से बसे हैं।
स्वतंत्रता के बाद के युग में पहला लोक अदालत शिविर 1982 में गुजरात में आयोजित किया गया था। यह पहल विवादों के निपटारे में बहुत सफल साबित हुई। लोक अदालत को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत प्रतिमा का दर्जा दिया गया है।
लोक अदालत में अध्यक्ष के रूप में एक न्यायिक अधिकारी और एक वकील (वकील) और सदस्य के रूप में एक सामाजिक कार्यकर्ता होते हैं।
लोक अदालत को भारतीय दंड संहिता (1860) के अर्थ के भीतर न्यायिक कार्यवाही के रूप में माना जाएगा और प्रत्येक लोक अदालत को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1973) के उद्देश्य के लिए एक नागरिक अदालत माना जाएगा।
लोक अदालत के अधिकार क्षेत्र में निर्धारित करने और पक्षकारों के बीच किसी विवाद के संबंध में समझौता या समझौता करने के लिए होगा:
1- कोई भी मामला किसी भी अदालत के समक्ष लंबित।
2- कोई भी मामला जो किसी भी न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है और उसे ऐसी अदालत के सामने नहीं लाया जाता है।
विभिन्न मामले जैसे वैवाहिक / पारिवारिक विवाद, आपराधिक (कंपाउंडेबल अपराध) मामले, भूमि अधिग्रहण मामले, श्रम विवाद, श्रमिकों के मुआवजे के मामले, बैंक वसूली के मामले, पेंशन मामले, हाउसिंग बोर्ड और स्लम क्लीयरेंस मामले, उपभोक्ता शिकायत मामले, बिजली के मामले, विवाद टेलीफोन बिलों से संबंधित, नगर निगम के मामले जिसमें हाउस टैक्स मामले, सेलुलर कंपनियों के साथ विवाद आदि, लोक अदालतों में उठाए जा रहे हैं।
इस कोर्ट के फायदे -
1- कम खर्चीला
2-कम समय लेने वाला
3- तकनीकी से मुक्त
4- विवाद करने वाले पक्ष अपने वकील के माध्यम से सीधे न्यायाधीश के साथ बातचीत कर सकते हैं जो कानून की नियमित अदालतों में संभव नहीं है।
Term "lok Adalat" means People's court .
This is based on Gandhian principles. It is one of the components of ADR( Alternative Dispute Resolution) system. Purpose of making this court to reduce the the burden of higher courts .
It is a forum where the cases ( or disputes) which are pending in a court or which are at pre- litigation stage ( not yet brought before a court ) are compromised or settled in an amicable manner .
The first Lok Adalat camp in the post independence era was organized in Gujarat in 1982 . This initiative proved very successful in the settlement of disputes. Lok Adalat has been given statuary status under the legal services Authorities Act ,1987 .
Lok Adalat consists of a judicial officer as the chairman and a lawyer ( advocate) and a social worker as member .
Lok Adalat shall be deemed to be judicial proceedings within the meaning of the Indian penal code (1860) and every lok Adalat shall be deemed to be a civil court for the purpose of the code of Criminal Procedure (1973).
A Lok Adalat shall have jurisdiction to determine and to arrive at a compromise or settlement between the parties to a dispute in respect of:
1- any case pending before any court .
2- any matter which is falling within the jurisdiction of any court and is not brought before such court .
The various matters such as Matrimonial/Family Disputes, Criminal (Compoundable offences) cases ,Land Acquisition cases ,Labour Disputes ,Workmen's compensation cases ,Bank Recovery cases,Pension cases , Housing Board and Slum Clearance cases, Consumer Grievances cases, Electricity matters ,Disputes relating to Telephone Bills ,Municipal matters including House Tax cases,Disputes with Cellular Companies etc , are being taken up in Lok Adalats.
Advantages of this Court -
1- less expensive
2-less time consuming
3- free from technicalities
4- The parties to dispute can directly interact with the judge through their counsel which is not possible in regular courts of law ..
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